“पुष्पवल्लरी” का भव्य विमोचन लहरिया उत्सव के मंच पर सम्पन्न

 

*पुष्पवल्लरी”: शब्दों में संवेदना, भावों में समाज की गूंज* 

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✍️ कवियत्री श्रीमती शशिकला सिंह के काव्य-संग्रह पर …

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“पुष्पवल्लरी” का भव्य विमोचन लहरिया उत्सव के मंच पर सम्पन्न

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साहित्य जगत के लिए नर्मदा केसरी की विशेष रिपोर्ट

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साहित्य, समाज का दर्पण होता है – यह वाक्य तभी सार्थक होता है जब हम ऐसे साहित्य को पढ़ते हैं जो न केवल भावनाओं को शब्द देता है, बल्कि सामाजिक यथार्थ, परंपराओं और मानवीय संवेदनाओं को भी रेखांकित करता है। श्रीमती शशिकला सिंह जी का काव्य संग्रह “पुष्पवल्लरी” इसी प्रकार का एक अनुपम सृजन है, जो काव्य के माध्यम से विचारों की पुष्पगुच्छी बनाकर पाठकों के मन में सुगंध भर देता है।

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हाल ही में “पुष्पवल्लरी” का भव्य विमोचन लहरिया उत्सव के मंच पर सम्पन्न हुआ। यह केवल एक काव्य संग्रह का विमोचन नहीं था, यह एक सांस्कृतिक चेतना और साहित्यिक सशक्तिकरण का उत्सव था। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीमती दीपा कंवर जी, रिद्धि सिद्धि मंडल की अध्यक्ष, ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से इस पल को ऐतिहासिक बना दिया। कवियत्री द्वारा अपनी काव्यकृति भेंट करना और अतिथि द्वारा स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया जाना न केवल साहित्य का आदान-प्रदान था, बल्कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संवेदना के सेतु का निर्माण भी था।

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 *पुष्पवल्लरी: भावनाओं की बेल, विचारों की छाया* 

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“पुष्पवल्लरी” में संकलित कविताएँ केवल रचनाएँ नहीं, बल्कि जीवन के विविध रंगों का दर्पण हैं। इनमें सामाजिक व्यवस्थाओं की पड़ताल, लोक परंपराओं की आत्मा, और मानवीय संघर्षों की जीवंत अनुभूति है। हर कविता जैसे किसी यथार्थ की मिट्टी में उगी हुई संवेदना की बेल है, जिसे कवियत्री ने अपने अनुभवों के जल और चिंतन के प्रकाश से सींचा है।

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उनकी लेखनी में कहीं नारी अस्मिता की बात है, तो कहीं संस्कार और संस्कृति की ध्वनि। कहीं वात्सल्य और करूणा है, तो कहीं विरोध और बदलाव की चेतना। यही वह विविधता है जो उन्हें समकालीन हिंदी साहित्य में विशिष्ट स्थान प्रदान करती है।

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 *साहित्यिक चेतना का एक उजला स्वर* 

आज जब सोशल मीडिया की चकाचौंध भरी दुनिया में साहित्य धीरे-धीरे हाशिए पर खिसकता जा रहा है, ऐसे में “पुष्पवल्लरी” जैसे काव्य संग्रह का विमोचन और उसे मिल रही सार्वजनिक सराहना साहित्यिक पुनर्जागरण की एक सशक्त दस्तक है।

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 *ठाकुर परिवार, नर्मदा केसरी परिवार, ईस्ट मित्र और समस्त शुभचिंतकों की ओर से कवियत्री श्रीमती शशिकला सिंह जी को इस गौरवपूर्ण उपलब्धि पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। आपकी लेखनी यूँ ही निरंतर जन-जन को प्रेरणा देती रहे और साहित्य के क्षितिज पर आपकी सृजनशक्ति नवचेतना की ध्वजा बनकर फहराती रहे।*

अंत में, यही कहना समीचीन होगा—

 *”जब भावनाएँ शब्दों में ढलती हैं, तो वे कविता बन जाती हैं;

और

जब कविता समाज को दिशा देती है, तो वह पुष्पवल्लरी बन जाती है।”*

 

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