निर्वाचन में आदित्य चौरे को अध्यक्ष, जयश्री कात्यायनी को महिला अध्यक्ष

 

अखिल भारतीय नार्मदीय ब्राह्मण महासभा का निर्वाचित नेतृत्व: समाज की एकता और सेवा की दिशा में एक सशक्त कदम

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सिवनी मालवा 
समाज के संगठनात्मक विकास और समरसता को बढ़ावा देने की दिशा में अखिल भारतीय नार्मदीय ब्राह्मण महासभा की सिवनी मालवा इकाई का निर्वाचन एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध हुआ है। गायत्री मंदिर परिसर में सम्पन्न यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया न केवल पारदर्शिता और सहमति का प्रतीक रही, बल्कि समाज में बढ़ती जागरूकता और सहभागिता की पुष्टि भी करती है।

इस निर्वाचन में आदित्य चौरे को अध्यक्ष, जयश्री कात्यायनी को महिला अध्यक्ष और संगीत राजवैद्य को युवा अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुना जाना इस बात का संकेत है कि समाज ने अपने नेतृत्व के रूप में ऐसे व्यक्तित्वों को स्वीकार किया है, जो सेवा भावना, समर्पण और नेतृत्व क्षमता से परिपूर्ण हैं।

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सामूहिक सहभागिता: सामाजिक चेतना का परिचायक

चुनाव प्रक्रिया में समाज के वरिष्ठ, महिलाएं और युवा वर्ग की सक्रिय उपस्थिति यह दर्शाती है कि संगठनात्मक कार्यों में अब केवल कुछ वर्ग ही नहीं, बल्कि पूरे समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित हो रही है। यह समावेशी दृष्टिकोण ही किसी भी संगठन की सफलता की नींव होता है।

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पर्यवेक्षकों की भूमिका: पारदर्शिता और प्रेरणा

निर्वाचन प्रक्रिया की निगरानी कर रहे पर्यवेक्षक सतीश राजवैद्य एवं अरुण पाराशर ने अपने दायित्वों का निर्वहन न केवल निष्पक्षता के साथ किया, बल्कि समाज को संगठनात्मक जिम्मेदारी निभाने की प्रेरणा भी दी। उनका यह कथन – “युवा, महिला और वरिष्ठ वर्ग जब साथ मिलकर कार्य करते हैं, तभी समाज की सशक्त उपस्थिति बनती है,” – समाज के लिए एक दिशा सूचक विचार है।

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नवनिर्वाचित नेतृत्व से अपेक्षाएं

अब जब नई टीम समाज के प्रतिनिधित्व का दायित्व संभाल रही है, तो उनसे अपेक्षा है कि वे समाज के विकास, शिक्षा, संस्कृति, युवाओं के मार्गदर्शन, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सेवा के क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। समाज के बीच संवाद और समरसता बनाए रखने की पहल भी इनके कार्यकाल की प्राथमिकताओं में होनी चाहिए।

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यह निर्वाचन न केवल पदों का बंटवारा था, बल्कि यह समाज के जागरूक होने, संगठित होने और विकास की दिशा में संकल्प लेने का प्रमाण भी है। ऐसे आयोजनों से समाज में अनुशासन, नेतृत्व और उत्तरदायित्व की भावना का विकास होता है, जो भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है।

अखिल भारतीय नार्मदीय ब्राह्मण महासभा की यह पहल अन्य सामाजिक संगठनों के लिए भी एक अनुकरणीय उदाहरण है कि किस प्रकार लोकतांत्रिक मूल्यों को अपनाते हुए सामाजिक विकास की दिशा में सार्थक कदम बढ़ाया जा सकता है।

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