धर्म, संस्कृति और परंपरा का अनुपम उदाहरण भगवान शिव की पालकी

 

बाबा महाकाल की पालकी यात्रा : श्रद्धा, संस्कृति और भक्ति का अद्भुत संगम

🚩

नर्मदा केसरी न्यूज़ नेटवर्क कृपया सब्सक्राइब कीजिए 

🪔🚩🪔

श्रावण मास के अंतिम सोमवार को जब सूर्य की अंतिम किरणें बानापुरा की गलियों को स्वर्णिम आभा से नहला रही थीं, तब नगर में आस्था की एक दिव्य लहर उमड़ रही थी। भक्तों का सैलाब, वातावरण में “हर हर महादेव” की जयघोष और पुष्पवर्षा से सजे मार्ग—यह दृश्य मात्र एक यात्रा का नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक परंपरा का जीवंत चित्रण था। यह अवसर था बाबा महाकाल की भव्य पालकी यात्रा का, जो सिवनी मालवा की धार्मिक पहचान में एक गौरवपूर्ण अध्याय जोड़ती है।

🚩

शिवत्व का आलोक: यात्रा का प्रारंभ

सीताराम ग्रुप के पावन सान्निध्य में आयोजित यह पालकी यात्रा बानापुरा स्थित जिला सहकारी बैंक के समीप से प्रारंभ हुई। यह कोई साधारण आयोजन नहीं था, बल्कि शिवभक्ति में लीन जनसमूह का महोत्सव था। सजे-धजे ध्वजधारी पात्र घोड़ों पर सवार होकर जब यात्रा का नेतृत्व कर रहे थे, तब ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे देवताओं का स्वयं धरती पर आगमन हो गया हो।

🪔

नाद और नृत्य में रचा शिवमयी वातावरण

Oplus_16908288

ढोल-नगाड़ों की गूंज, डीजे की शिव-भक्ति धुनों पर झूमते श्रद्धालु, और हाथों में त्रिशूल, दमरू लिए युवा—यह दृश्य केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जीवंतता का प्रतीक था। महिलाएं, बच्चे, वृद्ध—सभी वर्गों ने इस यात्रा में सहभागिता की। भक्तों ने बाबा महाकाल की पालकी को अपने कंधों पर उठाया और नगर भ्रमण करते हुए मार्ग को पवित्र भावनाओं से भर दिया।

🪷

महाकाली की झांकी: श्रद्धा का चमत्कारी दृश्य

यात्रा में शामिल महाकाली की झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र रही। जीवंत झांकी में जब महाकाली अपने रौद्र स्वरूप में प्रकट हुईं, तो दर्शकों की आंखें श्रद्धा से नत हो गईं। शिव-पार्वती विवाह सहित अन्य धार्मिक झांकियाँ भी इस यात्रा को आध्यात्मिक समृद्धि प्रदान कर रही थीं।

🚩🪷🚩

समापन: पूजन, आरती और भंडारे के साथ

प्राचीन गणेश-शिव मंदिर में महाआरती के साथ यात्रा का समापन हुआ। मंदिर परिसर में महाकाल का विधिवत पूजन कर श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की। भंडारे में हजारों लोगों ने सहभागिता की, जिससे समरसता और सेवा की भावना को बल मिला।

🥀

आस्था की शक्ति : बाधाएं भी नहीं रोक सकीं उत्सव

Oplus_16908288

यात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी अधिक थी कि नगर के कई स्थानों पर यातायात प्रभावित रहा, लेकिन यह कोई अव्यवस्था नहीं, बल्कि शिवभक्ति का उत्साह था, जो किसी भी व्यवधान से परे था। पुलिस प्रशासन की उपस्थिति के बावजूद जनसैलाब अपने आप में व्यवस्था बन गया था।

🪷🪔🪷

परंपरा से प्रेरणा : उज्जैन की शाही सवारी की झलक

आयोजकों ने बताया कि यह यात्रा उज्जैन की पावन शाही सवारी परंपरा से प्रेरित है। इसका उद्देश्य न केवल धार्मिक आस्था का पोषण है, बल्कि समाज में एकता, संस्कृति और धर्म की लौ को प्रज्वलित करना भी है।

🪔🪷🪔

सांस्कृतिक विरासत का पुनरुत्थान

Oplus_16908288

इस यात्रा ने यह सिद्ध कर दिया कि धार्मिक आयोजनों की आत्मा केवल रीति-रिवाज नहीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द, लोक-संस्कृति और आंतरिक श्रद्धा में निहित होती है। जब नगरवासी अपने घरों से बाहर आकर फूल बरसाते हैं, दर्शन करते हैं, तो वह केवल एक दृश्य नहीं, अपितु “वसुधैव कुटुम्बकम्” की जीवंत अनुभूति होती है।

🚩

बाबा महाकाल की यह पालकी यात्रा सिवनी मालवा की धार्मिक चेतना का प्रतीक बन गई है। यह आयोजन न केवल श्रद्धा का प्रदर्शन था, बल्कि हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने की पुकार भी थी। हर वर्ष आयोजित होने वाली यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए आस्था, अनुशासन और धर्म की अमूल्य धरोहर बनकर उभरती है।

हर हर महादेव! जय महाकाल!

Oplus_16908288

1
0

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

SEONI MALWA WEATHER
error: Content is protected !!