हरियाली अमावस्या : संतों का संगम

हरियाली अमावस्या और भावनाथ बाबा टेकरी

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एक ऐसा स्थल जहाँ धर्म, इतिहास, आस्था और ख्याति एक साथ जीवित हैं

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स्थान: सिवनी मालवा, जिला होशंगाबाद (नर्मदा तट, आंवलीघाट के समीप)

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धार्मिक महत्ता: श्रद्धा का जीवंत केंद्र

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भावनाथ बाबा टेकरी एक ऐसा स्थल है जहाँ भक्तों की आस्था और विश्वास हर वर्ष नया रूप लेता है। यहाँ हर वर्ष हरियाली अमावस्या पर विशाल आस्था मेला आयोजित होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र समेत अनेक राज्यों से पहुँचते हैं।

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यहाँ निवास करते हैं भावनाथ बाबा, जिनके बारे में मान्यता है कि वे सच्चे मन से माँगी गई हर मुराद पूरी करते हैं। टेकरी पर स्थित गुफा और पूजन स्थल में आज भी साधु-संत नियमित रूप से पूजन-पाठ करते हैं, और वातावरण में एक विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है।

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पौराणिक गौरव: पांडवों की चरणधरा

यह स्थल केवल एक धार्मिक धाम नहीं, बल्कि पौराणिक महत्व का भी प्रतीक है। जनश्रुति है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के 12 वर्ष यहीं बिताए थे, अपनी माता कुंती के साथ।

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टेकरी पर स्थित वह स्थान आज भी संरक्षित है, जहाँ पांडव गिल्ली-डंडा खेला करते थे। उनकी लकड़ी की गिल्लियाँ और डंडियाँ आज भी वहाँ रखी हुई हैं — यह किसी कल्पना की बात नहीं, बल्कि स्थानीय संस्कृति और लोकमान्यता का हिस्सा है जो पीढ़ियों से संरक्षित चली आ रही है।

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ऐतिहासिक विरासत: पुरातत्व के अमूल्य चिन्ह

भावनाथ टेकरी न केवल आस्था का स्थल है, बल्कि इतिहास और पुरातत्व की दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध है। यहाँ कभी एक भव्य नागेश्वर महादेव मंदिर स्थित था, जो मुगल आक्रमण के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया।

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आज भी यहाँ पर प्राचीन शिलालेख, टूटी-फूटी मूर्तियाँ, स्तंभ, और मंदिर के खंडहर मौजूद हैं, जो इस स्थान को पुरातात्विक दृष्टि से विशिष्ट बनाते हैं। इन अवशेषों का संरक्षण एवं अध्ययन आवश्यक है, ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ भी इस विरासत से परिचित हो सकें।

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ख्याति और जनसमर्थन: श्रद्धालुओं की माँग

टेकरी की चढ़ाई आज भी अत्यंत कठिन है। भक्तों को खड़ी और पथरीली चढ़ाई चढ़नी पड़ती है, क्योंकि यहाँ कोई पक्की सीढ़ी, रेलिंग या सुगम रास्ता नहीं है।

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जनता और ग्रामवासियों की माँग है कि शासन-प्रशासन इस स्थल की महत्ता को समझते हुए यहाँ पक्की सीढ़ियाँ, रेलिंग, प्रकाश व्यवस्था, और संभव हो तो रोपवे जैसी सुविधा विकसित करे — ताकि सभी आयु वर्ग के श्रद्धालु सरलता से दर्शन कर सकें।

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हरियाली अमावस्या : संतों का संगम

यह दिन यहाँ एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। नाथ संप्रदाय के योगी, साधु-संत, एवं श्रद्धालुगण बड़ी संख्या में एकत्रित होकर पूजन, भजन और आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं।

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नाथ महाराज स्वयं इस दिन विशेष पूजा करते हैं, और पूरा क्षेत्र भक्तिरस से सराबोर हो जाता है।

निष्कर्ष:

भावनाथ बाबा टेकरी केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि संस्कृति, इतिहास, और आध्यात्मिक चेतना का जीवंत प्रतीक है। यह हमारी धरोहर है — जिसे संजोना और विकसित करना हम सभी की जिम्मेदारी है।

सरकार, प्रशासन और समाज को मिलकर इस स्थल को पर्यटन और तीर्थाटन के मानचित्र पर स्थापित करना चाहिए — ताकि यह ख्यातिप्राप्त धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उतनी ही प्रेरणास्पद बनी रहे

 

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