. देश भक्ति’की अलख जगाने वाले जगाने ‘भारत कुमार’ नहीं रहे

 

उपकार फिल्म की लोकप्रियता के बाद ‘भारत’ नाम मिला था…

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फिल्मों से ‘देश भक्ति’की अलख जगाने वाले जगाने ‘भारत कुमार’ नहीं रहे

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जन्म 24 जुलाई 1937 : निधन 4 अप्रैल 2025 : असल नाम हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी

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• यादगार फिल्में : शहीद, उपकार, क्रांति, पूरब और पश्चिम, पत्थर के सनम, हरियाली और रास्ता, वो कौन थी, शोर।

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मुंबई । फिल्मों से देशभक्ति का जज्बा जगाने वाले अभिनेता व निर्देशक मनोज कुमार का शुक्रवार तड़के 3:30 बजे मुंबई में निधन हो गया। वे 87 साल के थे। 21 फरवरी को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मनोज कुमार ने 1967 में ‘उपकार’ फिल्म बनाई। इसके गीत ‘मेरे देश की धरती सोना सोना उगले…’ की अपार लोकप्रियता को देखते में हुए उन्हें ‘भारत कुमार’ कहा जाने लगा।

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मनोज कुमार को अनेक सम्मान मिले

फिल्मों में उत्कृष्ट योगदान के लिए 1992 में पद्मश्री और 2016 में का सबसे प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड की से नवाजा गया। उन्होंने 7 फिल्म फेयर की अवॉर्ड भी जीते। उनका जन्म 24 जुलाई बंग 1937 को अविभाजित भारत के एबटाबाद और (अब पाकिस्तान में) में पंजाबी हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। फिल्मों के बाद राजनीति में भी आए। 2004 में भाजपा के में सदस्य बने। उनकी अंत्येष्टि शनिवार को होगी। परिवार में पत्नी शशि और दो बेटे हैं।

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देश में राष्ट्रवाद के उफान में सबसे बड़ा योगदान मनोज कुमार का था’

क्रांति समेत कई हिट फिल्मों में मनोज कुमार के सह-अभिनेता रहे शत्रुघ्न सिन्हा बताते हैं- राष्ट्रवाद उनमें कूट-कूट कर भरा था। राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रवाद को जो लोकप्रियता मनोज की फिल्मों या उनके आचरण की बदौलत मिली, वह अभूतपूर्व थी। देश में आज राष्ट्रवाद का जो उफान दिखता है, उसकी उत्पत्ति में सबसे बड़ा योगदान मनोज का है। उस समय ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे को फिल्म ‘उपकार’ के जरिये सबसे ज्यादा बुलंद और मजबूत करने वाले मनोज कुमार ही थे।

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शत्रुघ्न सिन्हा लिखते हैं कि … मुझे याद है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री दिल्ली के गोलेचा सिनेमा में मनोज की फिल्म ‘उपकार’ देखने आए थे। शास्त्रीजी को फिल्में देखने का शौक नहीं था। इसलिए वे महज 10 मिनट के लिए फिल्म देखने आए थे, लेकिन इतने मंत्रमुग्ध हुए कि तीन घंटे की पूरी फिल्म देखने के बाद ही उठ सके। फिल्म इंडस्ट्री को जो क्षति सुनील दत्त, लता मंगेशकर के जाने से हुई, वैसी ही क्षति मनोज जी के जाने से भी हुई है। भले ही उन्हें कितने अवॉर्ड्स मिले हों, लेकिन सभी उनके कद के सामने बौने थे। वे सही मायने में भारत रत्न थे। मनोज मेरी पत्नी को बहन मानते थे और उनसे राखी बंधवाते थे। हमारे यहां जुड़वां बच्चे पैदा हुए तो ‘लव कुश’ नाम उन्होंने ही दिया था । मनोज कुमार काफी समय से लिवर सिरोसिस से जूझ रहे थे। उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें 21 फरवरी 2025 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

मनोज कुमार को 7 फिल्म फेयर पुरस्कार मिले थे। पहला फिल्म फेयर 1968 में फिल्म उपकार के लिए मिला था। उपकार ने बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्टोरी और बेस्ट डायलॉग के लिए चार फिल्म फेयर जीते। 1992 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 2016 में उन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया। दैनिक भास्कर से सभार

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